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मौर्य राजवंश(322 ईस्वी से 185 ईस्वी)

     मौर्य राजवंश(322 ईस्वी से 185 ईस्वी)


मौर्य राजवंश (322 ईसा पूर्व से 298 ईसा पूर्व तक) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश क्षत्रिय वंश की स्थापन हुआ जिसे चंद्रगुप्त मौर्य ने स्थापित किया ।मौर्य वंश इतिहास के पन्नो में आज इसलिए लिखा है क्योंकि मौर्य वंश ने ही अखण्ड भारत  का निर्माण किया। जब अखंड भारत का निर्णय हुआ ।

जानकारी के स्रोत(source)

 मौर्य राजवंश  का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था, जिसकी पैदाइश  के संबंध में अनेक विद्वानों ने अलग- अलग धारणा प्रदर्शित किये हैं। चंद्रगुप्त मौर्य की उत्पत्ति के संबंध में ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में परस्पर विरोधी विवरण मिलते हैं मौर्य वंश के बारे में कुछ लेख मिले जिसके बारे में नीचे बताया गया है 

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मौर्य राजवंश(322 ईस्वी से 185 ईस्वी)
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जारी रखें:- 

विष्णु गुप्त चाणक्य (कौटिल्य ) लिखित अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ से मौर्य के प्रशासन के बारे में तथा चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में  वर्णन किया गया है

  अन्य स्रोत

  कल्पसूत्र भद्रबाहु
  महाभाष्य पंतजलि

 अभिलेख द्वारा

अशोक के 14 शिलालेख जो कालसी देहरादून मन शेरा हजारा साहब गढ़ गिरनार जूनागढ़ गुजरात से बारा थाना एरागुड़ी कुरनूल धौली पुरी जोकर आदि स्थानों को प्राप्त हुई

मौर्य राजवंश की स्थापन

 चंद्रगुप्त मौर्य(chandragupta maurya) का जन्म 340 ईसवी पूर्वपटना बिहार जिले में हुआ था। जो उस समय के पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता है। वैसे तो भारत के इतिहास में इतने वीर और शूरवीर राजा हुए पर उनमें चंद्रगुप्त मौर्य का नाम सबसे ऊपर आता है


आइए जानते हैं चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में .....

एपियन व् प्लूटार्क इसे  ऐड्रोकोट् के नाम से वर्णित किया था  फिलाकेस इसे सेंड्रोकोट्स कहते है


चन्द्रगुप्त मौर्य के माँ का नाम मुरा था जिनके नाम से मौर्य वसं की नाम पड़ा इनके पिता का नाम नंद राज था   चन्द्रगुप्त मौर्य अपने बचपना से ही तेज बुद्धिमानी थे, उनमें सफल सच्चे शासक की पूरी गुणवत्ता थी, जो चाणक्य ने पहचान और उन्हें तक्षशिला विश्वविद्यालय लेकर गये जहां उन्होंने राजनीति व सामाजिक शिक्षा दी.


चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से अंतिम नंद शासक घनानंद को हराकर  मौर्य राजवंस की स्थापन की वो पहले हिन्दू शासक थे जिन्होंने पूरे भारत को अपना शासन किया था  चन्द्रगुप्त सभी धर्मों का सम्मान करते थे वो बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे

चंद्रगुप्त मौर्य की 2 पत्नियाँ थी जिसमें  एक का नाम दुर्धरा था ओर दूसरी देवी हेलना थी l बोला जाता है  चाणक्य चंद्रगुप्त को रोज खाने में थोड़ा  ज़हर मिला कर देते थे ,उनका ये सोचना था कि अगर कोई दुश्मन चन्द्रगुप्त को जहर से अगर कोई मारे तो उनपर जहर असर नही करेगा  उनके शरीर को धीरे धीरे ज़हर की आदत होने लगी थी l 

 चन्द्रगुप्त मौर्य से बुरी तरह पराजित होने के पश्चात्  सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को अपनी कन्या का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से करवा दिया। पराजय होने के बाद सेल्युकस ने चन्द्रगुप्त को 500 हाथियों भेट किया  जिसे वे आगे अपने युद्ध में उपयोग के बदले करते थे 



सेल्यूकस निकेटर अपने राजदूत मेगस्थनीज को मौर्य दरबार में भेजता है। मेगस्थनीज अपने विवरणों में पाटिलपुत्र का जिक्र पॉलीब्रोथा नाम से करता है।


चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु


कहा जाता है कि उनका जैन धर्म से बहुत ज्यादा लगाव था चंद्रगुप्त मौर्य ने 50 वर्ष के उम्र में अपना राज्य छोड कर  जैन मुनि भद्रबाहु से दीक्षा ली और श्रवणबेलगोला( मैसूर ) कर्णाटक जाकर 298 ई में  5 हफ़्तों तक उपवास द्वारा शरीर त्याग दिया



चंद्रगुप्त मौर्य की सेना सैनिक
चन्द्रगुप्त के शासन काल में 5 वर्गो से सेना में भर्ती किया जाता था जो कि निम्न है
चोर अथवा प्रतिरोधक
म्लेच्छ
चोर गण
आटविक।
शस्त्रोपजीवी श्रेणी।


चंद्रगुप्त मौर्य के द्वारा किए गए सराहनीय कार्य


चन्द्रगुप्त मौर्य एक ऐसे शासक थे जो पुरे भारत को एकिकृत करने में सफल रहे थे, उनसे पहले पुरे देश में छोटे छोटे शासक हुआ करते थे, जो यहाँ वहां अलग शासन चलाते थे, देश में एकजुटता नहीं थी. 

चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शासन कश्मीर से लेकर दक्षिण के डेक्कन तक, पूर्व के असम से पश्चिम के अफगानिस्तान तक फैलाया था. भारत देश के अलावा चन्द्रगुप्त मौर्य आस पास के देशों में भी शासन किया करते थे. 

 321 BC में कुसुमपुर में ये लड़ाई हुई जो कई दिनों तक चली अंत में चन्द्रगुप्त मौर्य को विजय प्राप्त हुई और उत्तर का ये सबसे मजबूत मौर्या साम्राज्य बन गया.

चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य  का वर्णन  अभिलेखों से से मिलता है कि मौर्य ने पश्चिमोत्तर में ईरान / फारस तक, पूर्व में बंगाल तक और दक्षिण में मैसूर (उत्तरी कर्णाटक) तक अपना शासन विस्तृत किया था। 

शकमहाक्षत्रप रुद्रदामन् के गिरनार अभिलेख  से इस बात की सूचना मिलती है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने पश्चिमी भारत में सुराष्ट्र तक का प्रदेश जीतकर अपने प्रत्यक्ष शासन के अंतर्गत कर लिया था इस अभिलेख से जानकारी मिलता है कि इस प्रदेश में पुष्यगुप्त वैश्य चंद्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल था। उसने वहाँ सुदर्शन नामक झील का निर्माण करवाया था।

चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन के बारे में  दक्षिण भारत विजय की जानकारी दो तमिल ग्रंथो अहनानुर व मुरनानुर और अशोक के अभिलेखों से प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त चन्द्रगुप्त की बंगाल विजय की जानकारी महास्थान अभिलेख से जानकारी प्राप्त होती है।

 
मौर्य वंश के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें :-




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