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पृथ्‍वी(Earth🌍 )

पृथ्‍वी(Earth🌍)


पृथ्‍वी(Earth🌍)


पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन है. धरती का घनत्व पूरे सौरमंडल में सबसे ज्यादा है  पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसे अंतरिक्ष यान की सहायता के बिना पृथ्वी का अध्ययन किया जा सकता है। फिर भी बीसवीं सदी तक पूरे ग्रह के नक्शे नही थे।


वेबसाइट के बारे में:-
                          आपका इस वेबसाइट पर स्वागत 🙏🙏🙏🙏🙏🙏है इस पोस्ट में आप पृथ्‍वी से संबंधित जानकारी पाएंगे,आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि purijaankarifree.blogspot.com नए आर्टिकल पोस्ट किए जाते हैं इसलिए आप रोज इस वेबसाइट पर आते रहे हैं जिससे आप कोई भी महत्वपूर्ण टॉपिक ना छूटे
हम इस पोस्ट में पृथ्‍वी संबधित लगभग सभी टॉपिक्स को कवर किया गया है जो आपको प्रतियोगिता में अच्छे मार्क्स लाने में मदद करेंगे
अगर आपको कोई भी सुझाव देना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में अपने मैसेज डाल सकते हैं हम आपके मैसेज का रिप्लाई 24 घंटे के में  दे देंगे


जारी रखें:- 
  पृथ्वी कैसे बनी ?
 धरती का निर्माण साढ़े चार अरब वर्ष पहले ही हुआ होगा। उस समय हमारी धरती का ज्यादातर हिस्सा खौलते हुए लावा जैसा रहा होगा। बाद में जैसे-जैसे लावा ठंडा होता गया, धरती के ऊपरी सतह का निर्माण होता गया। अब वैज्ञानिक यह जानने के उत्सुक हैं कि कैसे पृथ्वी के ऊपरी सतह और अंदरुनी कोर ने आकार लिया
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Picture ऑफ earth from top
प्रथ्वी का चित्र

🌍 पृथ्वी का आंतरिक संरचना 

पृथ्वी का आंतरिक संरचना मानव के लिए दृश्य नहीं है, अतः इसके सम्बंध में जानकारी प्रायः अप्रत्यक्ष साधनों से ही हो सकी है ।


🌍 अप्राकृतिक साधन (Artificial Sources):
♣️ दबाव (Pressure):
क्रोड़ (Core) के अधिक घनत्व के सम्बंध में चट्‌टानों के भार व दबाव का संदर्भ लिया जा सकता है । यद्यपि दबाव बढ़ने से घनत्व बढ़ता है, किन्तु प्रत्येक चट्‌टान की अपनी एक सीमा है जिससे अधिक इसका घनत्व नहीं हो सकता है, चाहे दबाव कितना ही अधिक क्यों न कर दिया जाए ।
♣️ घनत्व (Density):
पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 है जबकि भू-पर्पटी (Crust) का घनत्व लगभग 3.0 है । इससे स्पष्ट है कि आंतरिक भागों में घनत्व की अधिकता होगी । घनत्व सम्बंधी विभिन्न प्रमाणों से यह पता चलता है कि पृथ्वी के क्रोड़ (Core) का घनत्व सर्वाधिक है ।
♣️तापक्रम (Temperature):
सामान्य रूप से प्रत्येक 32 मीटर की गहराई पर तापमान में 10C की वृद्धि होती है, परंतु बढ़ती गहराई के साथ तापमान की वृद्धि दर में भी गिरावट आती है । प्रथम 100 किमी. की गहराई में प्रत्येक किमी. पर 120C की वृद्धि होती है । उसके बाद के 300 किमी. की गहराई में प्रत्येक किमी. पर 20C एवं उसके पश्चात् प्रत्येक किमी. की गहराई पर 10C की वृद्धि होती है ।

🌍 प्राकृतिक साधन (Natural Resources):

भूकम्प विज्ञान के साक्ष्य (Evidence of Seismology):
इसमें भूकम्पीय लहरों का सिस्मोग्राफ यंत्र (Seismograph) द्वारा अंकन कर अध्ययन किया जाता है । यह ऐसा प्रत्यक्ष साधन है, जिससे पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में पर्याप्त

♣️ ज्वालामुखी क्रिया (Volcanic Action):

ज्वालामुखी उद्‌गार से निकलने वाला तत्व व तरल मैग्मा के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि पृथ्वी की गहराई में कहीं न कहीं ऐसी परत अवश्य है जो तरल या अर्द्धतरल अवस्था में है ।

 पृथ्वी का रासायनिक संगठन एवं विभिन्न परतें:

International Union of Geodesy and Geophysics (IUGG) के शोध के आधार पर पृथ्वी के आंतरिक भाग को तीन वृहद् मंडलों में विभक्त किया गया है ।⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️



इन्हें भी पढ़े:- ग्लोबल वॉर्मिंग( global warming)



♣️ भू-पर्पटी (Crust):

IUGG ने इसकी औसत मोटाई 30 किमी. मानी है यह पृथ्वी के आयतन का 0.05% है। भूपर्पटी का बाहरी भाग अवसादी पदार्थों से बना है। जिसके निचले भाग में अम्लीय प्रकृति का रवेदार, आग्नेय तथा रुपांतरित शैलें पायी जाती  महाद्वीप हल्के सिल्कि पदार्थों—सिलिका + एल्यूमिनियम (सियाल — Sial) से संघटित होते हैं जबकि समुद्रों में भारी सिलिका पदार्थों — सिलिका + मैग्नीशियम (सिमा —Sima) का जमाव होता है जो ऊपरी मंडल का एक भाग होते हैं।
Density of crust
Earth crust (प्रथ्वी कि भूपर्पटी)


ऊपरी क्रस्ट का औसत घनत्व 2.8 एवं निचले क्रस्ट का 3.0 है । घनत्व में यह अंतर दबाव के कारण माना जाता है । ऊपरी क्रस्ट एवं निचले क्रस्ट के बीच घनत्व सम्बंधी यह असंबद्धता ‘कोनराड असंबद्धता’ कहलाती है । क्रस्ट का निर्माण मुख्यतः सिलिका और एल्युमिनियम से हुआ है । अतः इसे SIA1 परत भी कहा जाता है ।

♣️ मैंटल (Mantle):

क्रस्ट के निचले आधार पर भूकंपीय लहरों की गति में अचानक वृद्धि होती है तथा यह बढ़कर 7.9 से 8.1 किमी. प्रति सेकेंड तक हो जाती है । इस

इस असंबद्धता की खोज 1909 ई. में रूसी वैज्ञानिक ए. मोहोरोविकिक (A. Mohorovicic) ने की । अतः इसे ‘मोहो-असंबद्धता’ भी कहा जाता है । मोहो-असंबद्धता से लगभग 2,900 किमी. की गहराई तक मेंटल का विस्तार ह । इसका आयतन पृथ्वी के कुल आयतन (Volume) का लगभग 83% एवं द्रव्यमान (Mass) का लगभग 68% है ।
Internal structure of earth (mentle)
मेंटल का चित्र

अतः इसे SiMa परत भी कहा जाता है । मेंटल को IUGG ने भूकंपीय लहरों की गति के आधार पर पुनः तीन भागों में बाँटा है- (1) मोहो असंबद्धता से 200 किमी. (2) 200 किमी. से 700 किमी. (3) 700 किमी. से 2,900 किमी. ।


♣️ क्रोड़ (Core):
निचले मैंटल के आधार पर ‘P’ तरंगों की गति में अचानक परिवर्तन आता है तथा यह बढ़ कर 13.6 किमी. प्रति सेकेंड हो जाती है 
इसे ‘गुटेनबर्ग-विशार्ट असंबद्धता’ भी कहते हैं । गुटेनबर्ग-असंबद्धता से लेकर 6,371 किमी. की गहराई तक के भाग को क्रोड़ कहा जाता है । इसे भी दो भागों में बाँटकर देखते हैं- 2,900 से 5,150 किमी. और 5,150-6,371 किमी. 
प्रथ्वी की आंतरिक संरचना (कोड)
कोड का चित्र
इनके बीच पाई जाने वाली घनत्व सम्बंधी असंबद्धता ‘लैहमेन असंबद्धता’ कहलाती है । क्रोड़ में सबसे ऊपरी भाग में घनत्व 10 होता है, जो अंदर जाने पर 12 से 13 तथा सबसे आंतरिक भागों में 13.6 हो जाता है ।
इस प्रकार क्रोड़ का घनत्व मैंटल के घनत्व के दोगुने से भी अधिक होता है । बाह्य अंतरतम में ‘S’ तरंगें प्रवेश नहीं कर पाती है । आंतरिक अंतरतम में जहाँ घनत्व सर्वाधिक है, तुलनात्मक दृष्टि से अधिक तरल होने के कारण ‘P’ तरंगों की गति 11.23 किमी. प्रति सेकेंड रह जाती है 
Primary wave and secondary wave
तरंगो का चित्र 

यद्यपि अत्यधिक तापमान के कारण क्रोड़ को पिघली हुई अवस्था में रहना चाहिए किन्तु अत्यधिक दबाव के कारण यह अर्द्धतरल या प्लास्टिक अवस्था में रहता है । क्रोड़ का आयतन पूरी पृथ्वी का मात्र 16% है, परंतु इसका द्रव्यमान पृथ्वी के कुल द्रव्यमान का लगभग 32% है ।
क्रोड़ के आंतरिक भागों में यद्यपि सिलिकन की भी कुछ मात्रा रहती है, परंतु इसका निर्माण मुख्य रूप से निकेल और लोहा से हुआ है । अतः इसे NiFe परत भी कहते हैं ।


 पृथ्‍वी(Earth🌍) के बारे में कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्य:
🌀 पृथ्वी(Earth🌍) को सूर्य(Sun☀) से ऊर्जा मिलती है और यही ऊर्जा पृथ्वी की सतह को गरम करती है. पृथ्वी पर ताप का स्त्रोत सिर्फ सूर्य नहीं है बल्कि पृथ्वी का अंदरूनी भाग पिघले हुए पदार्थों से बना है जो निरंतर पृथ्वी के अंदरूनी ताप स्थिर रखता है। पृथ्वी के अंदर प्रमुख ताप उत्पादक समस्थानिक में पोटेशियम-40, युरेनियम-238 और थोरियम-232 शामिल है। पृथ्वी के केंद्र का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है और दबाव 360 जीपीए तक पहुंच सकता है।
प्रथ्वी की आंतरिक संरचना
पृथ्वी के आन्तरिक भाग का चित्र


🌐 सूर्य की ऊर्जा का कुछ भाग पृथ्वी और समुद्र की सतह से टकराकर वायुमंडल में बदल जाता है
🌐 पृथ्वी आकार में पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है.
🌐 पृथ्वी को सूर्य की एक एक परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है।
🌐 पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है.
🌐 पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूरब की ओर 1610 किमी प्रतिघंटा की चाल से चक्कर लगाती है.
🔵 पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेंड में एक चक्कर पूरा करती है, जिससे दिन और रात होते हैं.
हमारे पृथ्वी की इसके अक्ष पर घूमने की गति हर 100 साल में 17 मिलीसेकंड कम हो रही है, इसीलिए वैज्ञानिकों के हिसाब से आने वाले 14 करोड़ सालों में पृथ्वी पर एक दिन 25 घंटे का होगा।

🔵पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण होता है.
🔵सूर्य के बाद पृथ्वी का सबसे नजदीकी तारा प्रॉक्सिमा सेन्चुरी है.

🔵पृथ्वी की पहली परत का निर्माण सिलिकॉन और एल्युमिनियम धातु से हुआ है.
🔵 पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 ग्राम प्रति घन सेमी है.
🔵 समुद्र तल से पृथ्वी की सबसे अधिक ऊंचाई 8,848 मीटर है.
🔵 पृथ्वी की अनुमानित आयु 4600,000,000 वर्ष है.

 
4 मिलियन वर्ष पुराना पत्थर
पृथ्वी का सबसे पुराना पत्थर

🌀 सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुंचने में 8 मिनट 18 सेकंड लगते हैं.सारी पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर गुरुत्वाकर्षण एक जैसा नहीं है बल्कि पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर यह अलग-अलग है। इसकी वजह से है सभी स्थानों की पृथ्वी के केंद्र से दूरू भिन्न-भिन्न है। इसी वजह से भूमध्य रेखा पर आपका वजन ध्रुवों से थोडा अधिक होगा। पृथ्वी की तीन चौथाई सतह पर पानी है लेकिन इसकी गहराई पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना में कुछ भी नहीं है।



🌀 पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से पर्वतों का 15,000 मीटर से ऊँचा संभव नहीं है। पृथ्वी के सभी महाद्वीप पहले 2.5 करोड़ साल से गति कर रहे है। यह गति टैकटोनिक प्लेटों की लगातार गति के कारण है। प्रत्येक महाद्वीप दूसरे महाद्वीप से अलग चाल से गति कर रहा है जैसे प्रशइसकी गति 21 लाख किलोमीटर प्रति घंटे के बराबर है।


🌀 Earth पर उपस्थित 70% पानी का 97% पानी खारा है इसका मतलब ये की सिर्फ 3% पानी ही पीने के योग्य है!
इस 3% पानी का 2% से अधिक बर्फ की परतों तथा ग्लेशियरों में रहता है, जिसका अर्थ है 1% से भी कम पानी झीलों और नदियों में है।
पृथ्वी के अधिकतर भू-भाग पर पानी होने की वजह से सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करता है इसी से देखने पर पर पृथ्वी प्रतिभाशाली (brightest planets) दिखता हैं। 

🌀 लगभग प्रत्येक वर्ष 30,000 बाहरी अंतरिक्ष के पिंड पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते है लेकिन इनमें से अधिकतर पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर पहुंचने पर घर्षण की वजह से जलने लगते है जिन्हें हम आमतौर पर टूटता तारा भी कहते है
🌀 अगर चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह नहीं होता तो पृथ्वी पर करीब एक दिन 30 घंटो का होता।
🌀 मनुष्य के द्वारा सबसे अधिक गहराई तक खोदा जाने वाला गड्ढा सन् 1989 में रूस में खोदा गया था जिसकी गहराई 12.262 किलोमीटर थी। पृथ्वी की सतह पर केवल 11% हिस्सा ही भोजन उत्पादित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है बल्कि इसके भूमध्य रेखीय और ध्रुवीय व्यासों में 41 किलोमीटर का अंतर है।
🌀 सूर्य इतना बड़ा है कि इसमें करीब 13 लाख पृथ्वी समा सकती है और वजन यानि की द्रव्यमान के अनुसार तो वह 3 लाख 40 हजार गुना ज्यादा भारी है।



इन्हें भी पढ़े:- ग्रीनहाउस प्रभाव क्या होता है?

वर्तमान में 8 प्रमुख प्लेटें :👇 👇 👇 👇 

1. उत्तर अमेरिकी प्लेट – उत्तरी अमेरिकी, पश्चिमी उत्तर अटलांटिक और ग्रीनलैंड
2. दक्षिण अमेरिकी प्लेट – दक्षिण अमेरिका और पश्चिमी दक्षिण अटलांटिक
3. अंटार्कटिक प्लेट – अंटार्कटिका और दक्षिणी महासागर
4. यूरेशियाई प्लेट – पूर्वी उत्तर अटलांटिक, यूरोप और भारत के अलावा एशिया
विवर्तनिक प्लेट
संसार की विवर्तनिक प्लेट्स

5. अफ्रीकी प्लेट – अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अटलांटिक और पश्चिमी हिंद महासागर
6. भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट – भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और हिंद महासागर के अधिकांश
7. नाज्का प्लेट – पूर्वी प्रशांत महासागर से सटे दक्षिण अमेरिका
8. प्रशांत प्लेट – प्रशांत महासागर के सबसे अधिक
– पृथ्वी का घूर्णन धीरे – धीरे कम होता जा रहा है


🌀 नासा की मानें तो पृथ्वी का रोटेशन हर 100 सालों में धीमा होता रहता है, जिसका मतलब है हमारे दिन ठीक 24 घंटे के नहीं हैं, पृथवी को एक रोटेशन में वास्तव में 24 घंटे और 2.5 मिलीसेकंड लगते हैं।

🌀 चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौरमंडल का पांचवां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है जिसका व्यास पृथ्वी का एक चौथाई तथा द्रव्यमान 1/81 है। वृहस्पति के उपग्रह लो के बाद चंद्रमा दूसरा सबसे ज्यादा घनत्व वाला उपग्रह है। सूर्य के बाद आसमान में सबसे ज्यादा चमकदार निकाय चंद्रमा है।
 
ISS pic
आइ एस एस का चित्र


🌀 पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला और अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों का घर ISS(International space station) अबतक का बना सबसे मंहगी कोई भी यान या कहें मशीन है जून 2016 तक 1419 मानव निर्मित उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। वर्तमान समय में कक्षा में सबसे पुराना और निष्क्रिय उपग्रह वैनगार्ड 1 और 16,000 से भी ज्यादा अंतरिक्ष मलबे के टुकड़े भी घूम रहे हैं।


🌀 समुद्री ज्वार और भाटा चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से आते हैं। चंद्रमा की तात्कालिक कक्षीय दूरी, पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है इसलिए आसमान में सूर्य और चंद्रमा का आकार हमेशा एक जैसा नजर आता है। पृथ्वी के मध्य से चंद्रमा के मध्य तक कि दूरी 384,803 किलोमीटर है।


🌀 चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है। यह पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिन में पूरा करता है और अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी 27.3 दिन में लगाता है। यही वजह है कि हम हमेशा चंद्रमा का एक ही पहलू पृथ्वी से देखते हैं।


अगर चंद्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखे तो पृथ्वी साफ-साफ अपने अक्ष पर घूर्णन करती हुई नजर आएगी लेकिन आसमान में उसकी स्थिति हमेशा स्थिर बनी रहेगी यानि पृथ्वी को कई सालों तक निहारते रहे वह अपनी जगह से टस-से-मस नहीं होगी। पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य ज्यामिति की वजह से चंद्र दशा प्रत्येक 29.5 दिनों में बदलती है


  सूर्य(sun☀ ) |बुध ग्रह (mercury plane) |शुक्र ग्रह ( Venus planets) |पृथ्‍वी(Earth🌍)
  

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आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट पृथ्वीअच्छी लगी होगी !
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