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हर्यक वंश

                               हर्यक वंश

हर्यक वंश के तीन महत्वपूर्ण शासक “बिम्बिसार”, “अजातशत्रु” एवं “उदायिन” थे| इनके शासनकाल में मगध की आरंभिक राजधानी “गिरिव्रज” थी| बाद में “राजगृह” को मगध की राजधानी बनाई गई थी|

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मगध साम्राज्य की स्थापना और विस्तार

बिंबिसार के शासनकाल में मगध ने विशिष्ट स्थान प्राप्त किया । वह हर्यंक कुल का था तथा बुद्ध का समकालीन था । उसके द्वारा विजय और विस्तार की शुरू की गई नीति अशोक के कलिंग विजय के साथ समाप्त हुई । बिंबिसार ने अंग देश पर अधिकार कर लिया और इसका शासन अपने पुत्र अजातशत्रु को सौंप दिया ।

बिंबिसार ने वैवाहिक संबंधों से भी अपनी स्थिति को मजबूत किया । उसने तीन विवाह किए । उसकी प्रथम पत्नी कोसलराज की पुत्री और प्रसेनजित् की बहन थी । उसके साथ दहेज के रूप में प्राप्त काशी ग्राम से उसे एक लाख की आय होती थी । इससे पता चलता है कि राजस्व सिक्कों में वसूल किया जाता था ।

उसकी दूसरी पत्नी वैशाली की लिच्छवि राजकुमारी चेल्लणा थी जिसने अजातशत्रु को जन्म दिया और तीसरी रानी पंजाब के मद्र कुल के प्रधान की पुत्री थी ।

मगध की असली शत्रुता अवंति से थी, जिसकी राजधानी उज्जैन में थी । इसके राजा चंडप्रद्योत महासेन की बिंबिसार से लड़ाई हुई थी




बिम्बिसार (श्रेणिक


1. वह पहला शासक था जिसके पास “पैदल सेना” थी और वह बुद्ध का समकालीन था|

2. उसने “अंग” शासक ब्रह्मदत्त को हराने के बाद एक राजा के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पहली बार वैवाहिक गठबंधन की शुरूआत की थी|

3. उसने “महाकोसलदेवी” (कोसल की राजकुमारी और प्रसेनजीत की बहन), लिच्छवी राजकुमारी “चेल्लना” और “क्षेमा” (पंजाब के “मद्र” जनपद की राजकुमारी) से विवाह किया था|

4. विभिन्न राजसी परिवारों के साथ विवाह संबंधों के कारण बिम्बिसार को भारी कूटनीतिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई जिससे पश्चिम और उत्तर के क्षेत्र में मगध के विस्तार का मार्ग प्रशस्त हुआ|

5. तक्षशिला के गांधार शासक का राजदूत “पुकुस्ती” बिम्बिसार के दरबार में आया था|

6. उसने अपने निजी चिकित्सक “जीवक” (सलावती के पुत्र) को अपने प्रतिद्वंदी उज्जैन के शासक “चंदप्रद्योत महासेन” के पास उसके पीलिया के इलाज के लिए भेजा था|


इन्हे भी पढ़े:- नंद वंश (344 ई. पू. - 322 ई. पू.)

अजातशत्रु (कुणिक)

💠वंश:-हर्यक
💠शासक:- मगध


1. वह बिम्बिसार और चेल्लना का पुत्र था जिसने अपने पिता की हत्या करके सिंहासन पर कब्जा कर लिया था|

2. वह महावीर और गौतम बुद्ध दोनों का समकालीन था|

3. उसने बुद्ध की मृत्यु के कुछ ही समय बाद राजगृह में प्रथम बौद्ध संगीति के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|



4. काशी को लेकर कौशल नरेश प्रसनजीत से युद्ध हुआ जिसमें प्रसनजीत शुरुआत में सफल रहा बाद में प्रसनजीत ने अपनी पुत्री वजीरा का विवाह अजातशत्रु से कर दिया.और काशी को अपने राज्य में मिला लिया अजातशत्रु युद्ध में एक विशेष प्रकार का हथियार का प्रयोग करता था जिसे महाशिला कंटक कहते थे यह एक ऐसा हथियार था जो छोटे छोटे और बड़े बड़े पत्थरों को काफी दूर तक फेंकने में सक्षम था

5. यह युद्ध में एक विशेष प्रकार का रथ का प्रयोग करता था जिससे रथ  मुसल कहा जाता था इस रथों में एक विशेष प्रकार के यंत्र लगे होते थे  इस रथ में हथियार लगे होते थे जिसमें छोटे छोटे चाकू चाकू और तलवार लगे होते थे

6. शासन के 8 वर्ष बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ इसने बुध के अवशेषों पर राजगृह में स्तूप का निर्माण कराया



7. इसकी हत्या इसके पुत्र  उदायिन ने की

8. इनका मंत्री वत्सकार था जो इन युद्धों में उनकी बहुत मदद करता था

उदायिन

1. वह अजातशत्रु का पुत्र और उसका उत्तराधिकारी था|

2. उसने गंगा और सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) नामक राजधानी की स्थापना की थी|

3. अवन्ति के शासक “पालक” की शह पर “उदायिन” की हत्या की गई थी| उसके उत्तराधिकारी अनुरुद्ध, मुण्ड और नागदशक कमजोर शासक थे|


इन्हे भी पढ़े:- प्राचीन भारत का इतिहास (Ancient Indian History in Hindi)
हर्यक वंश

                 
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