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बिन्दुसार(अमित्रघात):-(298-273 BC)

     बिन्दुसार(अमित्रघात) :-(298-273 BC)


यह चंद्रगुप्त और दुर्धरा (घनानंद की पुत्री) की संतान था। इनको बिंदुसार क्यो कहा जाता है बताया जाता है कि यह जब पैदा हुआ था तो इनके माथे पर बिंदु था, इसलिए इसका नाम बिन्दुसार पड़ा। यह सीजेरियन (सर्जरी) तकनीक द्वारा पैदा हुए  थे। 


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जारी रखें:- 
       बिन्दुसार के बारे में एक नजर मे



पूरा नाम             सम्राट बिन्दुसार

उपाधि सम्राट
जन्म                  लगभग 320 ई.पू.
मृत्यु तिथि।         लगभग 272 ई.पू. (52 वर्ष)
पिता/माता।        चंद्रगुप्त मौर्य और दुर्धरा
पत्नी सुभद्रांगी
पुत्र       अशोक
राज्य सीमा।    सम्पूर्ण भारत( साउथ के कुछ भाग को छोड़                           के )

काल 298 से 272 ईसवी
राज्याभिषेक 298ईसवी

धार्मिक मान्यता          आजीवक और जैन
उत्तराधिकारी             अशोक



इसे वायुपुराण में- भद्रसार, अन्य पुराणों में- वारिसार और जैन ग्रंथों में सिंहसेन कहा गया है।
यूनानी लेखों के अनुसार बिन्दुसार का नाम 'अमित्रकेटे' था। विद्वानों के अनुसार अमित्रकेटे का संस्कृत रूप है जिसका मतलब अमित्रघात या अमित्रखाद होता है
बिन्दुसार का सम्बन्ध भारत से बाहर मिश्र और सीरिया तक थे।जिसका उलेख उनके द्वारा बहार से  वयापार सम्बद्ध था 
बिन्दुसार ने एण्टियोकस प्रथम( सीरिया के शासक) ) से तीन चीजें मांगी – सूखा अंजीर, अंगूरी मदिरा और दार्शनिक। एण्टियोकस प्रथम ने सूखा अंजीर और अंगूरी मदिरा तो भिजवा दी परन्तु दार्शनिक देने से साफ मना कर दिया ऐसा इसलिए किया  क्योंकि यूनानी कानून के अनुसार दार्शनिक का विक्रय नहीं किया जा सकता था परन्तु सीरिया के शासक एण्टियोकस प्रथम ने डायमेकस नामक राजदूत बिन्दुसार के दरबार में भेजा।


मिश्र के शासक टालेमी द्वितीय फिलाडेल्फस ने डायनोसिस नामक राजदूत बिन्दुसार के दरबार में भेजा।


             
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