ग्लोबल वॉर्मिंग( global warming)
ग्लोबल वार्मिंग के कई अन्य प्रभाव
इससे तापमान बढ़ेगा और जिससे भीषण गर्मी पड़ेगी और रेगिस्तान के बढ़ने में आसानी होगी।
पशु-पक्षियों व वनस्पतियों पर असर
ग्लोबल वार्मिंग का पशु-पक्षियों और वनस्पतियों पर भी गहरा असर पड़ेगा। माना जा रहा है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही पशु-पक्षी और वनस्पतियां धीरे-धीरे उत्तरी और पहाड़ी इलाकों की ओर प्रस्थान ( रवाना होना) करेंगे, लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ अपना अस्तित्व ही खो देंगे।
ग्लोबल वार्मिंग का निराकरण solution of global warming
आर्गेनिक खाद्य पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देना ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के प्रभावी तरीकों में से एक है।
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमारे इसके मुख्य घटक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकना होगा।
हमे पेड़ों की कटाई को रोकनी पड़ेगी। और इसके साथ- साथ और वृक्षारोपण की तरह जाना चाहिए।
अगर हम वाहन का उपयोग करना बंद कर देते हैं तो हम प्रदूषण की बड़ी मात्रा में कटौती कर सकते हैं।
साइकिल और सार्वजनिक परिवहन या अन्य पर्यावरण अनुकूल तरीको को चुनना चाहिए।
हमें उन स्रोतों का उपयोग करना चाहिए जो हमारे लिए ज्यादा हानिकारक न हो।
ग्लोबल वार्मिंग समाधान के लिए हमे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को चुनना चाहिए।
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ग्लोबल वॉर्मिंग( global warming)
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह (जमीन और पानी दोनों) के तापमान के साथ-साथ वायुमंडल में वर्तमान वृद्धि है।
जारी रखें:-
पिछले 100 वर्षों में दुनिया भर में औसत तापमान 0.75 डिग्री सेल्सियस (1.4 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ गया है, इस वृद्धि का दो तिहाई 1975 के बाद से हुआ है।
Q. ग्लोबल वॉर्मिंग क्या है ? what is global warming?
Ans. पृथ्वी के तापमान (temperature) में वृद्धि और तापमान (temperature) के बढ़ने के कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन को ही ग्लोबल वॉर्मिंग global warming कहते है। मुख्य रूप से वायुमंडल में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड की समस्या भी कह सकते है-जो एक लेयर के रूप में कार्य करती है, गर्मी को उसमें फ़साती है और ग्रह को गर्म करती है।
वेबसाइट के बारे में:-
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ग्लोबल वॉर्मिंग( global warming) से संबंधित जानकारी पाएंगे,आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि purijaankarifree.blogspot.com नए आर्टिकल पोस्ट किए जाते हैं इसलिए आप रोज इस वेबसाइट पर आते रहे हैं जिससे आप कोई भी महत्वपूर्ण टॉपिक ना छूटे
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जारी रखें:-
पिछले 100 वर्षों में दुनिया भर में औसत तापमान 0.75 डिग्री सेल्सियस (1.4 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ गया है, इस वृद्धि का दो तिहाई 1975 के बाद से हुआ है।
Q. ग्लोबल वॉर्मिंग क्या है ? what is global warming?
Ans. पृथ्वी के तापमान (temperature) में वृद्धि और तापमान (temperature) के बढ़ने के कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन को ही ग्लोबल वॉर्मिंग global warming कहते है। मुख्य रूप से वायुमंडल में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड की समस्या भी कह सकते है-जो एक लेयर के रूप में कार्य करती है, गर्मी को उसमें फ़साती है और ग्रह को गर्म करती है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (effects of global warming in hindi)
समुद्र के पानी के स्तर में वृद्धि
आज वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ समुद्र का पानी भी बढ़ रहा है। वर्तमान मॉडल इंगित करते हैं कि 3 डिग्री सेल्सियस के औसत वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि की वजह से अगले 50-100 वर्षों में औसत वैश्विक समुद्र स्तर 0.2-1.5 मीटर तक बढ़ जाएगा।
जिससे ग्लैशियरों पर जमा बर्फ पिघलने लगेगी। बर्फ के पिघलने से समुद्रों में पानी की मात्रा बढ़ जाएगी जिससे साल-दर-साल उनकी सतह में भी बढ़ोतरी होती जाएगी। समुद्रों की सतह बढ़ने से प्राकृतिक तटों का कटाव शुरू हो जाएगा जिससे एक बड़ा हिस्सा डूब जाएगा।
तापमान वृद्धि
यह अनुमान लगाया गया है कि यदि वर्तमान दर पर ग्रीनहाउस गैसों का इनपुट जारी रहता है
तो पृथ्वी का औसत तापमान 2050 तक 1.5 से 5.5 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ जाएगा | पिछले दस सालों में धरती के औसत तापमान में 0.3 से 0.6 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है। आशंका यही जताई जा रही है कि आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग में और बढ़ोतरी ही होगी।
कृषि पर प्रभाव
यह दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की फसलों हानी पहुंचाएगी जिससे कृषि उत्पादन में कमी आएगीऔर धीरे-धीरे हमारा अनाज भंडारभंडार कम होता जाएगा और बाद में ऐसा होगा कि हम भूखे मर सकते
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
विभिन्न बीमारियां जैसे मलेरिया, फिलीरियासिस आदि बढ़ जायँगी। ।
वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी जिससे व्यक्तियों को शुद्ध ऑक्सीजन न मिलने से उनकी मौत भी हो सकती है।
समुद्र के पानी के स्तर में वृद्धि
आज वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ समुद्र का पानी भी बढ़ रहा है। वर्तमान मॉडल इंगित करते हैं कि 3 डिग्री सेल्सियस के औसत वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि की वजह से अगले 50-100 वर्षों में औसत वैश्विक समुद्र स्तर 0.2-1.5 मीटर तक बढ़ जाएगा।
जिससे ग्लैशियरों पर जमा बर्फ पिघलने लगेगी। बर्फ के पिघलने से समुद्रों में पानी की मात्रा बढ़ जाएगी जिससे साल-दर-साल उनकी सतह में भी बढ़ोतरी होती जाएगी। समुद्रों की सतह बढ़ने से प्राकृतिक तटों का कटाव शुरू हो जाएगा जिससे एक बड़ा हिस्सा डूब जाएगा।
तापमान वृद्धि
यह अनुमान लगाया गया है कि यदि वर्तमान दर पर ग्रीनहाउस गैसों का इनपुट जारी रहता है
तो पृथ्वी का औसत तापमान 2050 तक 1.5 से 5.5 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ जाएगा | पिछले दस सालों में धरती के औसत तापमान में 0.3 से 0.6 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है। आशंका यही जताई जा रही है कि आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग में और बढ़ोतरी ही होगी।
कृषि पर प्रभाव
यह दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की फसलों हानी पहुंचाएगी जिससे कृषि उत्पादन में कमी आएगीऔर धीरे-धीरे हमारा अनाज भंडारभंडार कम होता जाएगा और बाद में ऐसा होगा कि हम भूखे मर सकते
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
विभिन्न बीमारियां जैसे मलेरिया, फिलीरियासिस आदि बढ़ जायँगी। ।
वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी जिससे व्यक्तियों को शुद्ध ऑक्सीजन न मिलने से उनकी मौत भी हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग के कई अन्य प्रभाव
इससे तापमान बढ़ेगा और जिससे भीषण गर्मी पड़ेगी और रेगिस्तान के बढ़ने में आसानी होगी।
पशु-पक्षियों व वनस्पतियों पर असर
ग्लोबल वार्मिंग का पशु-पक्षियों और वनस्पतियों पर भी गहरा असर पड़ेगा। माना जा रहा है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही पशु-पक्षी और वनस्पतियां धीरे-धीरे उत्तरी और पहाड़ी इलाकों की ओर प्रस्थान ( रवाना होना) करेंगे, लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ अपना अस्तित्व ही खो देंगे।
ग्लोबल वार्मिंग का निराकरण solution of global warming
आर्गेनिक खाद्य पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देना ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के प्रभावी तरीकों में से एक है।
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमारे इसके मुख्य घटक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकना होगा।
हमे पेड़ों की कटाई को रोकनी पड़ेगी। और इसके साथ- साथ और वृक्षारोपण की तरह जाना चाहिए।
अगर हम वाहन का उपयोग करना बंद कर देते हैं तो हम प्रदूषण की बड़ी मात्रा में कटौती कर सकते हैं।
साइकिल और सार्वजनिक परिवहन या अन्य पर्यावरण अनुकूल तरीको को चुनना चाहिए।
हमें उन स्रोतों का उपयोग करना चाहिए जो हमारे लिए ज्यादा हानिकारक न हो।
ग्लोबल वार्मिंग समाधान के लिए हमे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को चुनना चाहिए।
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