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ग्रीनहाउस प्रभाव(greenhouse effect)


                    ग्रीनहाउस प्रभाव


Q. ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है??????

Ans. पृथ्वी पर मौजूद वातावरण ग्रीनहाउस की सतह के रूप में कार्य करता है. सूर्य की ओर से आने वाली प्रकाश किरणों का 31 प्रतिशत भाग पृथ्वी की सतह से पुनः परवर्तित होकर स्पेस में  चला जाता है और 20 प्रतिशत भाग वातावरण के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है.  


वेबसाइट के बारे में:-
                          आपका इस वेबसाइट पर स्वागत 🙏🙏🙏🙏🙏🙏है इस पोस्ट में आप ग्रीनहाउस प्रभाव से संबंधित जानकारी पाएंगे,आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि purijaankarifree.blogspot.com नए आर्टिकल पोस्ट किए जाते हैं इसलिए आप रोज इस वेबसाइट पर आते रहे हैं जिससे आप कोई भी महत्वपूर्ण टॉपिक ना छूटे
हम इस पोस्ट म ग्रीनहाउस प्रभाव संबधित लगभग सभी टॉपिक्स को कवर किया गया है जो आपको प्रतियोगिता में अच्छे मार्क्स लाने में मदद करेंगे
अगर आपको कोई भी सुझाव देना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में अपने मैसेज डाल सकते हैं हम आपके मैसेज का रिप्लाई 24 घंटे के में  दे देंगे


जारी रखें:- 

वातावरण में मौजूद कुछ खास गैसें ग्रीनहाउस की सतह के रूप में कार्य करती है, और ऊष्मा को पृथ्वी पर बांधे रखती है.



ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक घटना है, इसी कारण पृथ्वी पर जीवन संभव है. ग्रीनहाउस में सूर्य की ओर से आने वाली ऊर्जा प्रकाश किरणों के रूप में एक सतह को पार करके ग्रीनहाउस तक आती है.  वातावरण में  मौजूद सतह ऊष्मा को बांधे रखती है, और ग्रीनहाउस का तापमान निश्चित बनाये रखने में मदत करती है अगर पृथ्वी  पर ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो, पृथ्वी अभी से कहीं ज्यादा ठंडी होती और पृथ्वी का तापमान 18 C होता

ग्रीनहाउस गैस

मिथेन गैस: 
मिथेन  भी एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण हरितगृह गैस है जो 1 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से वातावरण में बढ़ रही है। मिथेन की तपन क्षमता 36 है।  धान के खेत, दलदली भूमि तथा अन्य प्रकार की नम भूमियां मिथेन गैस के उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं।
     

क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स: 
क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स रसायन भी हरितगृह प्रभाव के लिए उत्तरदायी होते हैंपर फ्लोरो कार्बन की भी वार्षिक वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत प्रतिवर्ष है जबकि इसकी तपन क्षमता 17000 है।  पर फ्लोरो कार्बन की भी वार्षिक वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत प्रतिवर्ष है जबकि इसकी तपन क्षमता 17000 है।  
हाइड्रो फ्लोरो कार्बन का वैश्विक तपन में 6 प्रतिशत का योगदान है जबकि पर फ्लोरो कार्बन का वैश्विक तपन में 12 प्रतिशत का योगदान है। औद्योगीकरण के कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स की वातावरण में 25 प्रतिशत वृद्धि हुई है

इन्हें भी पढ़े:- ग्लोबल वॉर्मिंग( global warming)

नाइट्रस ऑक्साइड: नाइट्रस ऑक्साइड गैस 0.3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वातावरण में बढ़ रही है तथा इसकी तपन क्षमता 140 है। 
वातावरण में इस गैस की वृद्धि के लिए 70 से 80 प्रतिशत तक रासायनिक खाद तथा 20 से 30 प्रतिशत तक जीवाश्म ईंधन जिम्मेदार हैं। इस गैस का वैश्विक तपन में 5 प्रतिशत का योगदान है। नाइट्रस ऑक्साइड समतापमण्डलीय ओजोन पट्टी के क्षरण के लिए भी उत्तरदायी है।
ओजोन: क्षोभमण्डलीय ओजोन भी एक महत्वपूर्ण हरित गृह गैस है जो वातावरण में 0.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। इस गैस की तपन क्षमता 430 है। ओजोन का निर्माण आमतौर से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन्स की प्रतिक्रिया स्वरूप होता है। ओजोन गैस का वैश्विक तपन में 2 प्रतिशत का योगदान है।

वैश्विक स्तर पर हरित गृह गैसों का उत्सर्जन: 

वैश्विक स्तर पर भारत मात्र 1.2 टन प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष :हरित गृह गैसों का उत्सर्जन करता है। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका प्रति वर्ष 20 टन से भी अधिक प्रति व्यक्ति हरित गृह गैसों का उत्सर्जन करता है। रूस 11.71 टन, जापान 9.87, यूरोपीय संघ 9.4 तथा चीन 3.6 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष हरित गृह गैसों का उत्सर्जन करते हैं। 
पर्यावरण / जलवायु में परिवर्तन के कारण  (Greenhouse effect is caused ):
मौसम और जलवायु दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है, जलवायु में परिवर्तन के कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही है. प्राक्रतिक कारणों पर तो हमारा कोई नियंत्रण नहीं है परंतु मानव द्वारा निर्मित कारणों को नियंत्रित करके हम पृथ्वी के अस्तित्व और भविष्य में होने वाली कठिनाइयों से खुद को बचा सकते है. इसके लिए हुमें जलवायु परिवर्तन के करणों पर गौर करना पड़ेगा .
जलवायु परिवर्तन के कारण :
  1. प्राक्रतिक कारण :
  • महाद्वीपों का खिसकना
  • ज्वालामुखी
  • समुद्री तरंगे
  • धरती का घुमाव
  1. मानवीय कारण : कई ऐसे मानवीय कारण है, जिसके फलस्वरूप पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का स्तर बढ़ रहा है जिसके फलस्वरूप जलवायु में भी परिवर्तन हुये ह
  • जीवाष्म इंधनों जैसे कोला, पेट्रोल,  आदि के प्रयोग से अधिक मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड पर्यावरण में मुक्त हो रही है.
  • वनों के लगातार कटाव से उनके द्वारा अवशोषित की जाने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड का स्तर पर्यावरण में बढ़ रहा है.
  • औद्योगीकरण के चलते नवीन ग्रीनहाउस गैसे भी पर्यावरण में आवश्यकता से अधिक मात्रा में शामिल हो रही है जिससे तापमान लगातार बढ़ रहा है
यह सभी कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे पर्यावरण को प्रभावित करते है. 

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पृथ्वी पर मौजूद वातावरण ग्रीनहाउस की सतह के रूप में कार्य करता है. सूर्य की ओर से आने वाली प्रकाश किरणों का 31 प्रतिशत भाग पृथ्वी की सतह से पुनः परवर्तित होकर स्पेस में  चला जाता है और 20 प्रतिशत भाग वातावरण के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है.  वातावरण में मौजूद कुछ खास गैसें ग्रीनहाउस की सतह के रूप में कार्य करती है, और ऊष्मा को पृथ्वी पर बांधे रखती है.



ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक घटना है, इसी कारण पृथ्वी पर जीवन संभव है. ग्रीनहाउस में सूर्य की ओर से आने वाली ऊर्जा प्रकाश किरणों के रूप में एक सतह को पार करके ग्रीनहाउस तक आती है.  वातावरण में  मौजूद सतह ऊष्मा को बांधे रखती है, और ग्रीनहाउस का तापमान निश्चित बनाये रखने में मदत करती है अगर पृथ्वी  पर ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो, पृथ्वी अभी से कहीं ज्यादा ठंडी होती और पृथ्वी का तापमान 18 C होता

ग्रीनहाउस गैस

मिथेन गैस: 
मिथेन  भी एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण हरितगृह गैस है जो 1 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से वातावरण में बढ़ रही है। मिथेन की तपन क्षमता 36 है।  धान के खेत, दलदली भूमि तथा अन्य प्रकार की नम भूमियां मिथेन गैस के उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं।
     

क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स: 
क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स रसायन भी हरितगृह प्रभाव के लिए उत्तरदायी होते हैंपर फ्लोरो कार्बन की भी वार्षिक वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत प्रतिवर्ष है जबकि इसकी तपन क्षमता 17000 है।  पर फ्लोरो कार्बन की भी वार्षिक वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत प्रतिवर्ष है जबकि इसकी तपन क्षमता 17000 है।  
हाइड्रो फ्लोरो कार्बन का वैश्विक तपन में 6 प्रतिशत का योगदान है जबकि पर फ्लोरो कार्बन का वैश्विक तपन में 12 प्रतिशत का योगदान है। औद्योगीकरण के कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स की वातावरण में 25 प्रतिशत वृद्धि हुई है


नाइट्रस ऑक्साइड: नाइट्रस ऑक्साइड गैस 0.3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वातावरण में बढ़ रही है तथा इसकी तपन क्षमता 140 है। 
वातावरण में इस गैस की वृद्धि के लिए 70 से 80 प्रतिशत तक रासायनिक खाद तथा 20 से 30 प्रतिशत तक जीवाश्म ईंधन जिम्मेदार हैं। इस गैस का वैश्विक तपन में 5 प्रतिशत का योगदान है। नाइट्रस ऑक्साइड समतापमण्डलीय ओजोन पट्टी के क्षरण के लिए भी उत्तरदायी है।
ओजोन: क्षोभमण्डलीय ओजोन भी एक महत्वपूर्ण हरित गृह गैस है जो वातावरण में 0.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। इस गैस की तपन क्षमता 430 है। ओजोन का निर्माण आमतौर से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन्स की प्रतिक्रिया स्वरूप होता है। ओजोन गैस का वैश्विक तपन में 2 प्रतिशत का योगदान है।



वैश्विक स्तर पर हरित गृह गैसों का उत्सर्जन: 

वैश्विक स्तर पर भारत मात्र 1.2 टन प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष :हरित गृह गैसों का उत्सर्जन करता है। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका प्रति वर्ष 20 टन से भी अधिक प्रति व्यक्ति हरित गृह गैसों का उत्सर्जन करता है। रूस 11.71 टन, जापान 9.87, यूरोपीय संघ 9.4 तथा चीन 3.6 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष हरित गृह गैसों का उत्सर्जन करते हैं। 
पर्यावरण / जलवायु में परिवर्तन के कारण  (Greenhouse effect is caused ):
मौसम और जलवायु दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है, जलवायु में परिवर्तन के कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही है. प्राक्रतिक कारणों पर तो हमारा कोई नियंत्रण नहीं है परंतु मानव द्वारा निर्मित कारणों को नियंत्रित करके हम पृथ्वी के अस्तित्व और भविष्य में होने वाली कठिनाइयों से खुद को बचा सकते है. इसके लिए हुमें जलवायु परिवर्तन के करणों पर गौर करना पड़ेगा .
जलवायु परिवर्तन के कारण :
  1. प्राक्रतिक कारण :
  • महाद्वीपों का खिसकना
  • ज्वालामुखी
  • समुद्री तरंगे
  • धरती का घुमाव
  1. मानवीय कारण : कई ऐसे मानवीय कारण है, जिसके फलस्वरूप पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का स्तर बढ़ रहा है जिसके फलस्वरूप जलवायु में भी परिवर्तन हुये ह
  • जीवाष्म इंधनों जैसे कोला, पेट्रोल,  आदि के प्रयोग से अधिक मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड पर्यावरण में मुक्त हो रही है.
  • वनों के लगातार कटाव से उनके द्वारा अवशोषित की जाने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड का स्तर पर्यावरण में बढ़ रहा है.
  • औद्योगीकरण के चलते नवीन ग्रीनहाउस गैसे भी पर्यावरण में आवश्यकता से अधिक मात्रा में शामिल हो रही है जिससे तापमान लगातार बढ़ रहा हैं।
यह सभी कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे पर्यावरण को प्रभावित करते है. 



  सूर्य(sun☀ ) |बुध ग्रह (mercury plane) |शुक्र ग्रह ( Venus planets) |पृथ्‍वी(Earth🌍)

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