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चाणक्य ने नंद वंश को खत्म करने की कसम क्यो खाई

        चाणक्य ने नंद वंश को खत्म करने की  कसम क्यो खाई 


Q. क्या कारण था कि चाणक्य ने नंद वंस को नाश करवा दिया ?
Ans.मौर्य राजवंश की स्थापना के पीछे चाणक्य का एक प्रतिशोध की भावना भी थी जो घनानंद द्वारा भरी सभा के अंदर में उस चाणक्य को अपमानित करने के कारण से उत्पन्न हुई थी चाणक्य बहुत कुरूप था और बहुत काला था जिसका  मजाक घननाद ने भारी सभा में उड़ाया जब वहां पे वो भोज करने गए थे  
ऐसा भी कहा जाता है कि  ईशा के 327 ईसा पूर्व पहले मगध साम्राज्य पर नंद वंश के  घनानंद का साम्राज्य था  उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में गोदावरी तक और  पशिम में सिंधु से लेकर पूर्व की के मगध साम्राज्य का सम्राट घनानंद का राज्य था जो कि बहुत लालची था घनानंद इतना लालची था कि वह पैसों के लालच में वह अपने प्रजा से तरह-तरह के  कर लगता था जिससे उसकी प्रजा बहुत दुखी थी इसी महाजनपद के सीमावर्ती प्रदेश में आचार्य चाणक्य रहते थे जिनको अपने देश का बहुत ज्यादा चिंता रहता था  चाणक्य एक मित्र सत्तार घनानंद के दरबार में रहने वाले एक मंत्री से आचार्य चाणक्य ने सत्तार के साथ घनानंद के साथ संपूर्ण शासन को उखाड़ फेंकने की योजना बनाई पर इस योजना की खबर राजा घनानंद को मिल गई अपने खिलाफ चल रही योजना का मगध सम्राट धनानंद ने मंत्री सत्तार आचार्य चाणक्य को बंदी बनाने की आदेश दिया संपूर्ण राज्य में यह खबर फैल गई कि ब्राह्मण की हत्या की जाएगी इसी के साथ आचार्य चाणक्य का राजधानी के चौराहे पर सर काट के लटका दिया जाएगा लेकिन हुआ यह कि उनके पिता का सर को काट कर चौराहे पर लटका दिया गया अपने पिता के कटे हुए सर को देखकर आचार्य चाणक्य के आंखों में आंसू आ गए उस वक्त आचार्य चाणक्य मात्र 14 साल के थे रात के अंधेरे में चाणक्य ने अपने पिता की सर को को राजधानी के चौराहे पर लटके हुए सर को उतारा और एक कपड़े में लपेटा पुत्र चाणक्य ने अपने पिता का अकेले ही दहन संस्कार किया तब कौटिल्य ने गंगा को अपने हाथ में लेकर कसम खाई, मां गंगे जब तक हत्यारे घनानंद के पूरे साम्राज्य का अंत नहीं कर दूंगा तब तक बनी हुई कोई वस्तु नहीं खाऊंगा जब तक घनानंद के रक्त से अपने बाल को नहीं रंग लूंगा तब तक यसिक को खुला ही रखूंगा  मेरे पिता का बदलाव तभी पूर्ण होगा जब हत्यारे घनानंद का रक्त दाह संस्कार पर नहीं चढ़ेगा हे यमराज तू अपने लेखी से घनानंद का नाम काट दे क्योंकि उसकी मृत्यु मेरे हाथ ही होगी।


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