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भूगोल - lesson-1- आकाशगंगा (Galaxy)

  भूगोल(Geography)



आकाशगंगा (Galaxy)  
आकाशगंगा बहुत सारी गैसों, धुल और अरबों ग्रहों के सौर मंडल का संयुक्त रूप से बना एक आकार है। बहुत सारे ग्रह मिलकर एक सौर मंडल का निर्माण करते है. और ऐसे करोडों-  अरबों से भी ज्यादा सौर मंडल (solar system)  मिलकर बनाते है 
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💠एक आकाशगंगा एक विशालकाय रूप है जिसमे सौर मंडल     के साथ साथ धुल के कणों, बहुत सारी गैसों का भी संयोजन(mixture) रहता है. आकाशगंगा गुरुत्वाकर्षण बल स  पूर्णतया(complete) जुड़ा रहता है. हमारे आकाशगंगा (Akashganga) के बिलकुल बीचो बीच(in the middle)  में एक बहुत ही भारी  ब्लैक होल(Black Hole) भी है
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Hubble Space Telescope. इसकी मदद से वैज्ञानिको ने एक बार के प्रयास से कुल 12 दिन में 10,000 आकाशगंगा की खोज(discover)  की थी। इन आकाशगंगाओं में कुछ छोटे, कुछ बड़े, विभिन्न आकर और रंगों के आकाशगंगाओ को देखा गया।
वेबसाइट के बारे में:-
                          आपका इस वेबसाइट पर स्वागत 🙏🙏🙏🙏🙏🙏है इस पोस्ट में आप आकाशगंगा (Galaxy) lesson 1 आकाश गंगा  से संबंधित जानकारी पाएंगे,आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि purijaankarifree.blogspot.com नए आर्टिकल पोस्ट किए जाते हैं इसलिए आप रोज इस वेबसाइट पर आते रहे हैं जिससे आप कोई भी महत्वपूर्ण टॉपिक ना छूटे
हम इस पोस्ट में  आकाशगंगा (Galaxy) lesson 1 आकाश गंगा संबधित लगभग सभी टॉपिक्स को कवर किया गया है जो आपको प्रतियोगिता में अच्छे मार्क्स लाने में मदद करेंगे
अगर आपको कोई भी सुझाव देना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में अपने मैसेज डाल सकते हैं हम आपके मैसेज का रिप्लाई 24 घंटे के में  दे देंगे

जारी रखें:- 


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Akasganga
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🔷आकाशगंगा(Galaxy) की अनुमानित आयु 13.2 अरब साल है
🔷आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग, दुग्ध मेखला, गैलेक्‍सी (मन्दाकिनी) सभी का अर्थ एक ही है
🔷आकाशगंगा को चीन में "चांदी की नदी" कहते हैं
🔷हमारे ब्रह्माण्ड में असंख्य मन्दाकिनी या आकाशगंगा है प्रत्येक मन्दाकिनी में करोड़ो – अरबो तारे, सौरमण्डल, तारमण्डल, निहारिका, धूमकेतु , नक्षत्र आदि हैं ।
🔷हमारी मन्दाकिनी के सबसे नजदीकी(nearest) मन्दाकिनी का नाम देवयानी या एन्ड्रोमिडा है
A) हमारी मन्दाकिनी का आकार सर्पिलाकार है तथा अभी तक ज्ञात मन्दाकिनीयों के आधार पर मन्दाकिनीयों को तीन वर्गो में विभाजित किया गया है
B) सर्पिलाकार (80 प्रतिशत मन्दाकिनीयाँ सर्पिलाकार हैं )
C) दीर्घवृताकर ( अभी तक ज्ञात मन्दाकिनीयों में 17 प्रतिशत मन्दाकिनी दीर्घवृत्ताकार हैं),
🔷अनिमित आकार ( अभी तक ज्ञात मन्दाकिनीयों करीब 2 प्रतिशत मन्दाकिनीयाँ अनिमित आकार की है⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
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🔷हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के एक कोने पर स्थित है तथा हमारी मन्दाकिनी का केन्‍द्र हमसे करीब 30000 हजार प्रकाश वर्ष दूर है
🔷सौर मण्डल आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है
🔷सौर मण्डल करीब 25 करोड वर्ष में हमारी मन्दाकिनी का एक चक्कर पूरा करता है।

इन्हें भी पढ़े:- ब्लैक होल(Black Hole) 

🔷हमारी आकाशगंगा का व्यास लगभग 100–120 प्रकाश वर्ष(light year)  है।
🔷आकाशगंगा में लगभग 100-400 अरब तारे तथा 50 अरब से अधिक ग्रह है
 🌐सौर मंडल:-⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
 जिस प्रकार आपका अपना परिवार है उसी प्रकार सूर्य(sun☀ )का भी अपना परिवार है. सूर्य अपने परिवार का मुखिया(head) है और अपने परिवार के सभी सदस्यों को ऊष्मा व प्रकाश देता है। ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह और उल्का पिंड इस परिवार के सदस्य हैं।सूर्य(sun☀ )की मुखिया होने का कारण इस परिवार के सदस्य हैं। सूर्य(sun☀ ) के मुखिया होने के कारण इस परिवार को ‘सौर-परिवर’ या ‘सौरमंडल(solar system) '’ कहते हैं।

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सौर मंडल के सभी सदस्य एक दूसरे के खिंचाव के कारण संतुलित(balancing) अवस्था में रहते हैं। अपने अक्ष पर घूमते हुए एक निश्चित मार्ग पर निरंतर गति करते रहते हैं।ये कभी एक – दूसरे के मार्ग पर नहीं जाते इस कारण यह आपस में नहीं टकराते हैं ।आकाशीय पिंड का अपने अक्ष पर घूमना ‘परिभ्रमण’ (ROTATION) कहलाता है। ग्रहों का सूर्य (तारा) के चारों ओर घूमना ‘परिक्रमण’ (REVOLUTION) कहलाता है।
हमारा सौरमंडल तो ब्रह्मांड का एक बहुत छोटा भाग है ।हमारे सौरमंडल जैसे कई सौरमंडल मिलकर एक ‘तारामंडल’ बनाते हैं। जैसे – ‘सप्तर्षि तारामंडल’ । करोडों तारामंडल मिलकर एक ‘मंदाकिनी'(Galaxy) का निर्माण करते हैं। मंदाकिनी, आकाश में एक और से दूसरी और तक फैली चौड़ी सफेद लाखों तारों से भरी चमकदार पट्टी है


हमारे मंदाकिनी का नाम आकाशगंगा'(Milkyway) है ।इस प्रकार के लाखों मंदाकिनी मिलकर ब्रह्याण्ड(Universe) का निर्माण करती है।
हमारे सौरमंडल में 24 अगस्त 2006 से पहले 9 ग्रह(planet) माने जाते थे । किंतु 24 अगस्त 2006  को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (I.A.U.- International Astronomical Union) ने यम (Pluto) को ग्रह की श्रेणी से हटा दिया हैं,अब ग्रहों की कुल संख्या 8 रह गई है
🌐पार्थिव /आतंरिक ग्रह (Terrestrial Planets / Inner Planet)⬇️⬇️


पार्थिव (Terrestrial Planets) ग्रह, ऐसे ग्रह होते हैं जो चट्टानों से बने होते हैं और उनकी संरचनाएं(structure) धरती के समान हुयी हैं। ग्रहों के नाम नीचे दिये गए हैं:

1. बुध ग्रह (Mercury)
2. शुक्र ग्रह (Venus)
3. पृथ्वी (Earth)
4. मंगल ग्रह (Mars)

🌐बृहस्पतीय /बाहरी ग्रह (Jovial Planets / Outer planet)⬇️⬇️

बृहस्पतीय ग्रह उन विशालकाय ग्रहों को  कहते हैं जिनकी संरचनाएं बृहस्पति ग्रह के समान हुयी हैं। ग्रहों के नाम नीचे दिये गए हैं:

1. बृहस्पति ग्रह (Jupiter)
2. शनि ग्रह (Saturn)
3. अरुण ग्रह (Uranus)
4. वरूण ग्रह (Neptune)





🌐ग्रह (Planets) ⬇️⬇️⬇️

कुछ आकाशीय पिंडो में स्वयं(self) का प्रकाश व ऊष्मा नहीं होतो है। वे अपने तारे के प्रकाश से ही प्रकाशिक होते हैं।साथ ही वे अपने अक्ष (AXIS) पर घूमते हुए अपने तारे की परिक्रमा करते हैं। इन्हें ग्रह कहते हैं।

जैसे – हमारी पृथ्‍वी(Earth🌍)स्वयं क प्रकाश नहीं है। सूर्य(sun☀ ) के प्रकाश से प्रकाशित होती है पृथ्वी एक ग्रह है जो सूर्य(sun☀ ) का चक्कर लगाती है।

ग्रह को अंग्रेजी भाषा में(Planet) कहते हैं, जो कि ग्रीक भाषा के (Planetai) शब्द से बना है।जिसका अर्थ होता है –‘परिभ्रमण’ अर्थात चारों ओर घूमने वाला!  

🌐Number of planet -हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं – 👉👉


Sr.
Nu
        ग्रह का नाम हिंदी में
Name in english
1
बुध
MERCURY
2
शुक्र
VENUS
3
पृथ्वी
EARTH
4
मंगल
MARS
5
बृहस्पति
JUPITER
6
शनि
SATURN
7
अरूण
URANUS
8
वरूण
NEPTUNE
जो सौर मंडल में स्थित है।


बुध ग्रह, शुक्र ग्रह, मंगल ग्रह, तथा पृथ्वी ये चारों पथरीले ग्रह( rocky planets) है।

बृहस्पति ग्रह, शनि ग्रह, अरुण ग्रह, तथा वरुण ग्रह ये चारों गैस(gas) से बने हुए है।
       
🌐सौरमंडल के ग्रहों के नाम व ग्रह का रंग –
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1 – बुध – सावला – भूरा ।
2 – शुक्र – स्लेटी – काला।
3 – पृथ्वी – हरी – नीली ।
4 – मंगल – लाल -तांबेजैसा ।
5 – बृहस्पति – गुलाबी ।
6 – शनि – लाल – काला ।
7 – अरुण – नीला ।
8 – अरुण – धुंधला स्लेटी ।

मास के अनुसार ग्रह (according to mass of plantes) (घटते क्रम में)
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1. बृहस्पति (Jupiter)
2. शनि ग्रह (Saturn)
3. अरुण ग्रह (Uranus)
4. मंगल ग्रह (Mars)
5. पृथ्वी (Earth)
6. शुक्र ग्रह (Venus)
7. वरूण ग्रह (Neptune)
8. बुध ग्रह (Mercury)

घनत्व (density) के अनुसार ग्रह (घटते क्रम में)
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1. शनि ग्रह (Saturn)
2. अरुण ग्रह (Uranus)
3. बृहस्पति ग्रह (Jupiter)
4. वरूण ग्रह (Neptune)
5. मंगल ग्रह (Mars)
6. शुक्र ग्रह (Venus)
7. बुध ग्रह (Mercury)
8. पृथ्वी (Earth)

🌐ग्रहों से सूर्य की दूरी तथा उपग्रह की संख्या –⬇️⬇️⬇️


      ग्रह
सूर्य से दूरी करोड़ किलोमीटर में
    उपग्रह की सांख्य
    बुध
        6
      0
    शुक्र
      11
      0
    पृथ्वी
      15
    1
  मंगल

      24
      2
  बृहस्पति
      77
    16
  शनि
      142
    20
  अरूण
      287
    17
    वरूण
      450
    8

🌐उपग्रह (SATELLITE) –
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कुछ आकाशीय पिंड, अपने ग्रह की परिक्रमा करते हुए सूर्य(sun☀ ) की परिक्रमा पूरी करते हैं। जैसे चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है ।यह अपने ग्रह की परिक्रमा करने के कारण ‘उपग्रह’ कहलाते हैं ।यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक ग्रह का उपग्रह हो सभी ग्रहों के उपग्रहों की संख्या समान होना भी जरूरी नहीं है ।जैसे हमारे सौरमंडल में कुछ ग्रहों का एक भी उपग्रह नहीं है ,और किसी ग्रह के 20 उपग्रह हैं।
जैसे हमारी पृथ्‍वी(Earth🌍) का एक अकेला उपग्रह चंद्रमा है, जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
🌐क्षुद्र ग्रह (ASTEROIDS) –
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ग्रहों एवं उपग्रहों के अतिरिक्त अनेक छोटे-छोटे पिंड भी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। इन आकाशीय पिंडों को ‘क्षुद्रग्रह’ कहते हैं ।ये मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच में पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों की राय है कि क्षुद्रग्रह, ग्रहों से ही टूटे हुए हिस्से हैं ,जो बहुत समय पहले ग्रहों से टूटकर अलग हो गए थे।

🌐उल्का पिण्ड (METEOROIDS) –

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सूर्य(sun☀ ) के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों को ‘उल्का पिंड’ कहते हैं ।ये कभी-कभी पृथ्वी के इतने निकट आ जाते हैं कि पृथ्वी के वायुमंडल की उसके साथ रगड़कर के जलने लगते हैं और जलकर पृथ्‍वी(Earth🌍) पर गिर जाते हैं ।इस प्रक्रिया में चमकदार प्रकाश उत्पन्न होता है ।इन्हें ही टूटता हुआ तारा समझ आ जाता है, जिसे उल्कापिंड कहते

🌐पुच्छल तारे (COMET) –
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Coment

पुच्छल तारे चट्टानों,बर्फ द्वारा धूल और गैस के बने आकाशीय – पिंड होते हैं ।अक्सर यह आकाशीय – पिंड अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य(sun☀ ) के पास आ जाते हैं । सूर्य(sun☀ ) ताप के कारण इसकी गैस और धूल वाष्प में बदल जाती है। यही वाष्प मुख्य पिण्ड से एक लंबी सी चमकीली पूछ के रूप में बाहर निकल जाती है। गुरुत्वाकर्षण के कारण इस तारे का सिर सूर्य(sun☀ ) के तरफ तथा पूछ हमेशा बाहर की तरफ होती है , जो आपको चमकती हुई दिखाई देती है।

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