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वायुमंडल(atomspher)


              वायुमंडल(Atomshpre)

वायुमंडल की परत

पृथ्वी के वातावरण में 78% नाईट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और कुछ मात्रा में आर्गन, कार्बन-डाई-ऑक्साइड और जल वाष्प है।
पृथ्‍वी(Earth🌍) पर निर्माण के वक्त कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा अधिक रही होगी जो चट्टानों में कार्बोनेट रूप में जम गई, कुछ मात्रा सागर द्वारा अवशोषित कर ली गई, शेष कुछ मात्रा जीवित प्राणियों द्वारा प्रयोग में आ गई होगी।
     

वेबसाइट के बारे में:-
                          आपका इस वेबसाइट पर स्वागत 🙏🙏🙏🙏🙏🙏है इस पोस्ट में आप वायुमंडल  से संबंधित जानकारी पाएंगे,आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि purijaankarifree.blogspot.com नए आर्टिकल पोस्ट किए जाते हैं इसलिए आप रोज इस वेबसाइट पर आते रहे हैं जिससे आप कोई भी महत्वपूर्ण टॉपिक ना छूटे
हम इस पोस्ट में वायुमंडल  संबधित लगभग सभी टॉपिक्स को कवर किया गया है जो आपको प्रतियोगिता में अच्छे मार्क्स लाने में मदद करेंगे
अगर आपको कोई भी सुझाव देना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में अपने मैसेज डाल सकते हैं हम आपके मैसेज का रिप्लाई 24 घंटे के में  दे देंगे

जारी रखें:- 
            प्लेट टेकटानिक और जैविक गतिविधि कार्बन-डाई-ऑक्साइड का थोड़ी मात्रा का उत्सर्जन और अवशोषण करते रहते है। कार्बन-डाई-ऑक्साइड पृथ्‍वी(Earth🌍) की सतह के तापमान को  ग्रीनहाउस प्रभाव(greenhouse effect)द्वारा नियंत्रण करती है। ग्रीन हॉउस प्रभाव द्वारा सतह का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस होता है नहीं तो वह -21 डिग्री सेल्सियस से 14 डिग्री सेल्सियस रहा है इसके न रहने पर समुद्र जम जाते और जीवन असंभव हो जाता।
✋✋वायुमंडल की परतों को जानने से पहले हम यह जानेंगे कि आखिर वायुमंडल है क्या ? व इसकी संरचना क्या है और इसके अंदर कौन सी गैस किस मात्रा में पाई जाती है !👇👇👇👇


💠💠वायुमंडल क्या है ?
वायुमंडल पृथ्‍वी(Earth🌍) के चारों ओर हवा के विस्तृत भंडार को कहते हैं ! यह सौर विकिरण की लघु तरंगों को पृथ्वी के धरातल तक आने देता है , परंतु पार्थिव विकिरण की लंबी तरंगों के लिए अवरोधक बनता है ! इस प्रकार यह ऊष्मा को रोककर विशाल “ग्लास हाउस” की भांति कार्य करता है , जिससे पृथ्वी पर औसतन 15 डिग्री सेंटीग्रेड tempture बना रहता है ! यही तापमान पृथ्वी पर जीव मंडल के विकास का आधार है !
यद्यपि वायु मंडल का विस्तार लगभग 29000 किलोमीटर ऊंचाई तक मिलता है ! परंतु वायु मंडल का 99% भार सिर्फ 32 किलोमीटर तक ही सीमित है !वायुमण्डल का घनत्व ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है।

💠💠वायुमंडल का संघटन⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
        
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वायुमंडल में अनेक गैसों का मिश्रण है ! सर्वाधिक मात्रा में नाइट्रोजन तथा उसके बाद क्रमशा ऑक्सीजन , आर्गन व कार्बन डाइऑक्साइड का स्थान आता है ! इसके अलावा जलबाष्प , धूल के कण तथा अन्य अशुद्धियां भी असमान मात्रा में वायुमंडल में मौजूद रहती हैं ! विभिन्न गैसों की 99% भाग मात्र 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीमित है , जबकि धूल कणों व जलवाष्प का 90% भाग अधिकतम 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिलता है !
    💠नाइट्रोजन ( N2 ) – 78%
  • यह जैविक रूप से निष्क्रिय और भारी गैस (gas) है.
  • इसका चक्रण वायुमंडल, मृदामंडल और जैवमंडल में अलग-अलग होता है.
  • राइजोबियम बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में ग्रहण करता है.
  • यह नाइट्रिक ऑक्साइड के रूप में अम्ल वर्षा (Acid Rain) के लिए उत्तरदाई है.
   💠ऑक्सीजन ( O2 ) – 21%:
  • यह प्राणदायिनी गैस है.
  • इस भारी गैस का संघनन वायुमंडल के नीचले भाग में है

💠आर्गन ( Ar ) – 0.93 %

💠कार्बन डाइऑक्साइड – 0.03%
  • पौधे कार्बन डाईऑक्साइड से ग्लूकोज और कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं.
  • विविध कारणों से इस गैस की सांद्रता (Gas concentrations) में वृद्धि के जलवायु परिवर्तन की समस्या उत्पन्न हो रही है.

वायुमंडल की विभिन्न परतें ( Layer of Atmosphere )
                   👇 👇 👇 👇 

वायुमंडल की परतों को मुख्यता पांच भागों में बांटा गया है –
वायुमण्डल का घनत्व ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है।

क्षोभमण्डल(TROPOSPHERE)
            
👇 👇 👇 👇  क्षोभमण्डल वायुमंडल की सबसे निचली परत है यह मण्डल जैव मण्डलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मौसम संबंधी सारी घटनाएं इसी में घटित होती हैं।इस मंडल को परिवर्तन मंडल भी कहते हैं. समस्त मौसमी घटनाएँ भी इसी मंडल में घटित होती हैं इस भाग में गर्म और शीतल होने का कार्य विकिरण, संचालन और संवहन द्वारा होता है संवहनी तरंगों तथा विक्षुब्ध संवहन के कारण इस मंडल को कर्म से संवहनी मंडल और विक्षोभ मंडल भी कहते हैं.
 प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर वायु का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस की औसत दर से घटता है। इसे सामान्य ताप पतन दर कहते है। इसकी ऊँचाई ध्रुवो पर 8 से 10 कि॰मी॰ तथा विषुवत रेखा पर लगभग 18 से 20 कि॰मी॰ होती है ग्रीष्म ऋतु में इस स्तर की ऊँचाई में वृद्धि और शीतऋतु में कमी पाई जाती है.

समतापमण्डल(STRATOSPHERE)
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20 से 50 किलोमीटर तक विस्तृत है । ) इस मण्डल में तापमान स्थिर रहता है तथा इसके बाद ऊंचाई के साथ बढ़ता जाता है। समताप मण्डल बादल तथा मौसम संबंधी घटनाओं से मुक्त रहता है। इस मण्डल के निचले भाग में जेट वायुयान के उड़ान भरने के लिए आदर्श दशाएं हैं। इसकी ऊपरी सीमा को ‘स्ट्रैटोपाज’ कहते हैं। समतापमंडल में लगभग 30 से 60 किलोमीटर तक ओजोन गैस पाया जाता है जिसे ओजोन परत कहा जाता है  निचले भाग में ओज़ोन गैस बहुतायात में पायी जाती है। इस ओज़ोन (पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती हैं)यहाँ से ऊपर जाने पर तापमान में बढोतरी होती हैबहुल मण्डल को ओज़ोन मण्डल कहते हैं। ओज़ोन गैस सौर्यिक विकिरण की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुंचने देती है !

मध्यमण्डल (TROPOPAUSE)
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यह वायुमंडल की तीसरी परत है जो समताप सीमा के ऊपर स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 80 किलोमीटरतक है। अंतरिक्ष से आने वाले उल्का पिंड इसी परत में जल जाते है।


इन्हें भी पढ़े:-ग्लोबल वॉर्मिंग( global warming)

तापमण्डल
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इस मण्डल में ऊंचाई के साथ ताप में तेजी से वृद्धि होती है। तापमण्डल को पुनः दो उपमण्डलों ‘आयन मण्डल’ तथा ‘आयतन मण्डल’ में विभाजित किया गया है। आयन मण्डल, तापमण्डल का निचला भाग है जिसमें विद्युत आवेशित कण होते हैं जिन्हें आयन कहते हैं। ये कण रेडियो तरंगों को भूपृष्ठ पर परावर्तित करते हैं और बेतार संचार को संभव बनाते हैं। तापमण्डल के ऊपरी भाग आयतन मण्डल की कोई सुस्पष्ट ऊपरी सीमा नहीं है। इसके बाद अन्तरिक्ष का विस्तार है।


आयनमण्डल (IONOSPHERE)
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यह परत 80 से 500 किलोमीटर की ऊंचाई तक विस्तृत है । अायन मंडल की निचली सिमा में ताप प्रायः कम होता है जो ऊंचाई के साथ बढ़ते जाता है जो 250km में 700c हो जाता है ।इस मंडल में सुऱय के अत्यधिक ताप के कारण गैसें अपने आयनों में टुट जाते हैं। इस मण्डल में ऊंचाई के साथ ताप में तेजी से वृद्धि होती है।इसमें विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है ,जिहें आयन कहा जाता है ! इन्ही की अधिकता के कारण इस मंडल का नाम आयन मंडल है ! ये कण रेडियो तरंगों को भूपृष्ठ पर परावर्तित करते हैं और बेतार संचार को संभव बनाते 
  • यह मंडल कई आयनीकृत परतों में विभाजित है, जो निन्मलिखित हैं :–
इन्हें भी पढ़े:- ब्लैक होल(Black Hole) 

i) D का विस्तार 80-96 कि.मी. तक है, यह पार्ट दीर्घ रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है.
ii) E1 परत (E1 layer) 96 से 130 कि.मी. तक और E2 परत 160 कि.मी. तक विस्तृत हैं. E1 और E2 परत मध्यम रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है.
iii) F1 और F2 परतों का विस्तार 160-320 कि.मी. तक है, जो लघु रेडियो तरंगो (radio waves) को परावर्तित करते हैं. इस परत को एप्लीटन परत (appleton layer) भी कहते हैं.
iv) G परत का विस्तार 400 कि.मी. तक है. इस परत (layer) की उत्पत्ति नाइट्रोजन के परमाणुओं व पराबैगनी फोटोंस (UV photons) की प्रतिक्रिया से होती है.

बाह्यमण्डल(EXOSPHERE)

धरातल से 500से1000km के मध्य बहिरमंडल पाया जाता है,कुछ विद्वान् इसको 1600km तक मानते है । इस परत का विषेस अध्ययन लैमेन स्पिट्जर ने किया था। इसमें हीलियम तथा हाइड्रोजन गैसों की अधिकता है।

पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें:-


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